करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से क्यों दिया जाता है अर्घ्य?

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Karwa Chauth 2024 : हिंदू धर्म में करवाचौथ व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन का सुहागिन महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह पर्व कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 20 अक्टूबर 2024 को करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा जाएगा। महिलाएं इस दिन पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रदेव को जल अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ के दिन चंद्रदेव को जल अर्घ्य देने के लिए केवल मिट्टी के करवे का ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है और किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग क्यों नहीं होता है?

करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से क्यों दिया जाता है अर्घ्य?

मिट्टी के करवे का निर्माण मिट्टी, जल, वायु,अग्नि,आकाश समेत पांच तत्वों से मिलकर होता है। मानव शरीर भी पांच तत्वों से मिलकर बना है। यह शुद्धता का प्रतीक भी माना जाता है। बता दें कि करवा का निर्माण मिट्टी को जल में भिगोकर किया जाता है। इसके बाद हवा और धूप के माध्यम से सुखाया जाता है। अग्नि में पकाया जाता है। इस तरह से पंच तत्वों से करवे का निर्माण होता है। इसलिए करवा चौथ में मिट्टी के करवे से अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसके उपयोग से ब्रह्मा जी का आशीर्वाद मिलती है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। मिट्टी के करवे से जल अर्घ्य देने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माता सीता और माता द्रौपदी ने जब करवा चौथ व्रत किया था, तब उन्होंने में भी मिट्टी के करवे का इस्तेमाल किया था।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।



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